Marital Rape : वैवाहिक बलात्कार: एक अनदेखी समस्या और समाज की जिम्मेदारी

Marital Rape : वैवाहिक बलात्कार: एक अनदेखी समस्या और समाज की जिम्मेदारी
वैवाहिक बलात्कार: एक अनदेखी समस्या और समाज की जिम्मेदारी

परिचय

वैवाहिक बलात्कार (Marital Rape) एक ऐसा विषय है जिस पर हमारे समाज में बहुत कम चर्चा होती है। इसे आमतौर पर एक निजी मामला समझा जाता है, लेकिन सच्चाई यह है कि यह एक गंभीर अपराध है जो महिलाओं के अधिकारों और गरिमा का उल्लंघन करता है। वैवाहिक बलात्कार का मतलब है जब एक पति अपनी पत्नी की सहमति के बिना उसके साथ यौन संबंध बनाता है। इसे भारत में अब तक एक कानूनी अपराध के रूप में मान्यता नहीं मिली है, जो इसे और भी गंभीर समस्या बनाता है।

देश में 82% शादीशुदा महिलाएं ऐसी हैं, जो पति की यौन हिंसा की शिकार हैं

- देश में 6% शादीशुदा महिलाओं ने जीवन में कभी न कभी यौन हिंसा झेली है.

- देश में 30% महिलाएं ऐसी हैं जिन्होंने पति की शारीरिक या यौन हिंसा झेली है. 

ये कुछ आंकड़े हैं जो देश में शादीशुदा के हालात है  को बयां करते हैं, ये आंकड़े और किसी के नही बल्कि सरकार के हैं । ये सारे आंकड़े नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे–5(National Family Health Survey:NFHS–5) की ताजा रिपोर्ट के सामने आए है। इस रिपोर्ट में ये भी पता  चला है को करीब 14 फीसदी महिलाओं ने अपने पहले पति की यौन हिंसा का सामना करा है।

ये वो आंकड़े है जो न सिर्फ चौंकाने है , बल्कि एक खराब सच को सामने रखे हैं की हमारा देश अभी भी इन सब चीजों को लेकर कितना पीछे है । इतने आंकड़े होम के बावजूद भी हमारा देश भारत उन 34 देशों में शामिल है जहां मैरिटल रेप को लेकर के कोई नही है बनाया गया है ।

वैवाहिक बलात्कार का अर्थ और प्रभाव(Marital Rape kya hota hai?)

वैवाहिक बलात्कार(Marital Rape)का सीधा अर्थ है कि जब एक महिला के पति द्वारा उसकी सहमति के बिना यौन संबंध बनाए जाते हैं। यह एक मानसिक, शारीरिक, और भावनात्मक शोषण की स्थिति होती है। इस प्रकार के बलात्कार का प्रभाव केवल शारीरिक चोट तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह एक महिला की आत्म-सम्मान, मानसिक स्वास्थ्य, और समाज में उसकी स्थिति को भी गंभीर रूप से प्रभावित करता है।

शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

वैवाहिक बलात्कार से महिलाओं को कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसमें शारीरिक चोटें, यौन संचारित रोग (STDs), अवसाद, चिंता, और PTSD (Post-Traumatic Stress Disorder) जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं शामिल हैं। इसके अलावा, इस तरह के अनुभव से गुजरने वाली महिलाएं आत्म-हत्या के विचारों और सामाजिक अलगाव का शिकार हो सकती हैं।

भारत में वैवाहिक बलात्कार की कानूनी स्थिति

भारत में, भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 375 के तहत बलात्कार का परिभाषा दी गई है, लेकिन इसमें पति द्वारा पत्नी के साथ बिना सहमति के बनाए गए यौन संबंध को बलात्कार नहीं माना जाता, जब तक कि पत्नी 15 साल से अधिक उम्र की न हो। यह प्रावधान विवाह संस्था की पवित्रता को बनाए रखने के तर्क पर आधारित है, लेकिन यह महिलाओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।

कानूनी सुधार की जरूरत

कई महिला अधिकार संगठनों, वकीलों, और समाजसेवियों ने वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने की मांग की है। उनका मानना है कि विवाह एक सामाजिक अनुबंध है, न कि एक लाइसेंस जो किसी को भी अपने साथी के साथ बलपूर्वक यौन संबंध बनाने की अनुमति देता है। इसलिए, कानूनी सुधार की आवश्यकता है ताकि हर महिला को उसकी सहमति का अधिकार मिल सके।

समाज का दृष्टिकोण और मानसिकता

हमारे समाज में वैवाहिक बलात्कार को अक्सर ‘पारिवारिक मामला’ कहकर नजरअंदाज कर दिया जाता है। इसके पीछे की मानसिकता यह है कि विवाह के बाद, एक महिला का शरीर उसके पति की संपत्ति बन जाता है, जो पूरी तरह गलत है। इस तरह की सोच न केवल महिलाओं के प्रति असम्मान को दर्शाती है, बल्कि यह उनके मानवाधिकारों का भी उल्लंघन करती है।

सामाजिक जागरूकता की कमी

अधिकांश लोग इस तथ्य से अनभिज्ञ हैं कि बलात्कार चाहे किसी भी रूप में हो, वह अपराध ही होता है। इसलिए, समाज में वैवाहिक बलात्कार के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। स्कूलों, कॉलेजों, और समुदायों में कार्यशालाओं और जागरूकता अभियानों के माध्यम से इस विषय पर खुली चर्चा की जानी चाहिए।

वैवाहिक बलात्कार पर वैश्विक परिदृश्य

दुनिया के कई देशों में वैवाहिक बलात्कार को एक कानूनी अपराध के रूप में मान्यता दी गई है। जैसे कि संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, और ऑस्ट्रेलिया में, यह एक गंभीर अपराध माना जाता है और इसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान है। ऐसे कानून यह सुनिश्चित करते हैं कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह शादीशुदा हो या नहीं, अपनी पत्नी के साथ जबरदस्ती यौन संबंध नहीं बना सकता।

वैवाहिक बलात्कार को रोकने के उपाय

  1. कानूनी सुधार: भारत में वैवाहिक बलात्कार को अपराध के रूप में मान्यता देने के लिए कानूनी सुधार की सख्त आवश्यकता है। इसके लिए संसद में व्यापक चर्चा और जन जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है।

  2. शिक्षा और जागरूकता: समाज में इस मुद्दे के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए स्कूलों और कॉलेजों में लैंगिक समानता और यौन शिक्षा के पाठ्यक्रम को शामिल किया जाना चाहिए। साथ ही, मीडिया के माध्यम से इस विषय पर खुली चर्चा होनी चाहिए।

  3. मनोवैज्ञानिक सहायता और समर्थन: पीड़ित महिलाओं को मानसिक और भावनात्मक समर्थन प्रदान करने के लिए परामर्श सेवाएं और सहायता समूहों की स्थापना की जानी चाहिए। इससे उन्हें अपनी स्थिति को समझने और सही निर्णय लेने में मदद मिल सकती है।

  4. समुदाय की भागीदारी: वैवाहिक बलात्कार के खिलाफ लड़ाई में समुदाय का सहयोग बहुत महत्वपूर्ण है। समाज को एकजुट होकर इस तरह की मानसिकता को बदलने और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए आगे आना चाहिए।

  5. सख्त सजा: कानून में सख्त सजा का प्रावधान होना चाहिए ताकि जो भी व्यक्ति इस अपराध को करता है, उसे कड़ी से कड़ी सजा मिले। इससे संभावित अपराधियों के मन में भय उत्पन्न होगा।


निष्कर्ष

वैवाहिक बलात्कार एक गंभीर समस्या है जिसे न केवल कानूनी बल्कि सामाजिक और नैतिक दृष्टिकोण से भी देखा जाना चाहिए। इसे केवल एक 'पारिवारिक मुद्दा' कहकर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हमें यह समझना होगा कि हर महिला को अपने शरीर पर अधिकार है, चाहे वह शादीशुदा हो या नहीं। वैवाहिक बलात्कार को अपराध के रूप में मान्यता देना और इसके खिलाफ सख्त कानून बनाना आज की जरूरत है।

समाज के हर वर्ग को मिलकर इस दिशा में काम करना होगा ताकि एक ऐसा समाज बनाया जा सके जहां हर महिला अपने अधिकारों और गरिमा के साथ जी सके।

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